निर्जला एकादशी व्रत रखने से मनवांछित फल की होती प्राप्ति

निर्जला एकादशी व्रत रखने से मनवांछित फल की होती प्राप्ति

निर्जला एकादशी व्रत रखने से मनवांछित फल की होती प्राप्ति


हाटा/कुशीनगर। धार्मिक मान्यता के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत रखने वाले जातक इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं। यह व्रत प्रत्येक वर्ष की भांति जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है।

 इस व्रत में सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक जल और भोजन कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है।लेकिन बहुत से जातकों के लिए यह सरल नहीं है। 

ऐसी स्थिति में जो जातक निर्जला व्रत का उपवास न रह सके वह सिर्फ फल मूल व जल ग्रहण कर इस व्रत को रह सकते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार पूरे वर्ष में 24 एकादशी व्रत आती है । 

जो जातक या 24 एकादशी व्रत नहीं कर सकते वह इस निर्जला एकादशी व्रत रहकर उन सभी एकद्शियों के व्रत का फल पा सकते हैं ।

 जैसे महाभारत में पांडव पुत्र भीम अधिक समय तक भूखे नहीं रह पाने के कारण पूरे वर्ष में आने वाले सभी 24 एकादशी का व्रत नहीं रह कर सिर्फ इसी निर्जला एकादशी के व्रत को ही करते थे ।

 इसीलिए इसे भीमसेनी एकादशी व्रत भी कहा जाता है । जातक के जीवन में भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की कृपा से धर्म,अर्थ, काम ,मोछ,सुख सौभाग्य की प्राप्ति के साथ मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ