जानिए क्यों दी जाती है इस्लाम धर्म में कुर्बानी

जानिए क्यों दी जाती है इस्लाम धर्म में कुर्बानी

 



कुशीनगर । सोमवार को देश भर में ईद अल अजहा का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । सुबह 06:00 से 07:00 बजे के बीच मुसलमान ईद अल अजहा की विशेष नमाज ईदगाह व मस्जिदों में जाकर अदा करने के बाद अपने घरों पर जाकर जानवरों की कुर्बानी की।

 इस्लाम में कुर्बानी का बहुत बड़ा महत्व है। इस्लामिक धार्मिक पुस्तकों में आये वर्णन के अनुसार कुर्बानी करने का वाक्या लगभग चार हजार वर्ष पहले हुआ था। जिससे दुनिया वाले अनजान थे।

 लेकिन लगभग 1400 वर्ष पूर्व पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब पर नाजिल हुए पवित्र पुस्तक कुरान शरीफ के जरिए ईश्वर ने पूरी दुनिया को इस बात से अवगत कराया की इब्राहिम के साथ क्या हुआ था।

जानकारी के अनुसार पैगम्बर हजरत इब्राहिम को कोई संतान नहीं थी। तो उन्हें इश्वर ने चमत्कार दिखाते हुए लगभग 80 वर्ष की आयु में उन्हें एक संतान प्रदान किया। 

जिससे पैगम्बर इब्राहिम व उनकी पत्नी बेहद प्रसन्न हुई और पुत्र का नाम इसमाइल रखा। लेकिन इसके बाद इश्वर ने इब्रहिम की कठिन परिक्षा ली । 

इश्वर ने पैगम्बर इब्राहिम को ख्वाब में कहा की जो तुम्हें सबसे प्यारी चीज हो तुम उसे मेरी राह में कुर्बान करो। इब्राहिम को इस बात को समझते देर ना लगी ।

 वह फौरन समझ गये की मुझे सबसे प्यारी मेरी औलाद है । इस बात की चर्चा उन्होंने अपनी पत्नी से किया ।

 तो उन्होंने भी कहा की जैसा आपको आज्ञा मिला है आप कीजिए। पैगम्बर इब्राहिम अपने बेटे को कुर्बान करने के लिए चल पड़े । पहुंचने के बाद बेटे इस्माइल ने कहा की अगर इश्वर की यही मर्जी है तो अब्बू आप मुझे कुर्बान कीजिए । 

लेकिन कहीं आपको मेरे उपर तरस ना आ जाये इस लिए आप अपनी आंखों पर पट्टी बांध लीजिए । इब्राहिम ने ऐसा ही किया। बेटे की गर्दन पर छूरी चला दी । लेकिन जब आंखों से पट्टी हटाई तो देखा कि बेटा सामने खड़ा होकर मुस्कुरा रहा है और नींचे दुंबा जानवर कटा पड़ा हुआ है। 

ईश्वर ने इस चमत्कार को 1400 साल पहले कुरान के जरिए दुनिया वालों को बताया तब जाकर पूरी दुनिया को इस बात का पता चला। ईश्वर ने सभी मुसलमानों को आज्ञा दिया की तुम भी इब्राहिम की याद में जानवर की कुर्बानी करो।

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