रायबरेली। उत्तर प्रदेश के मुखिया महंत योगी आदित्यनाथ भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकारी तंत्र के तहत आम जनमानस के लिए तरह तरह की योजनाएं लागू कर जनता को राहत देने का प्रयास कर रहे हो लेकिन जिले का स्वास्थ्य विभाग खाऊ कमाऊ नीति के तहत मुख्यमंत्री के वादे और इरादे पर पानी फेरने में पीछे नहीं है। जिले के राणा बेनी माधव चिकित्सालय में तैनात क कई वरिष्ठ डॉक्टर खुद की क्लीनिक खोलकर सरकार की मंशा पर बट्टा लगा रहे हैं। बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा लाई गई आयुष्मान भारत योजना देश के गरीब और सबसे ज्यादा ज़रूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन का एक हिस्सा है। एनआरएचएम ग्रामीण आबादी, विशेष रूप से कमजोर वर्ग के लिए सुलभ, सस्ती और गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध करता है। लेकिन विडंबना है कि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था उस समय बद से बदतर हो जाती है जब सीधे सरकार से जुड़े सरकारी डॉक्टर ही सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने के बजाएं निजी फायदे के लिए योजनाओं को कुचल रहे हो। दरअसल आज जिले के विभिन्न हिस्सों में तमाम ऐसे नर्सिंग होम व अस्पताल चल रहे हैं जिनमें अधिकतर सरकारी डॉक्टर बैठते नजर आ रहे हैं यही नहीं अधिकतर अस्पताल हुआ नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि इन सब की जिसके कंधों पर जिम्मेदारी है वह साहब अनजान है फाइल देखकर ऐसे अस्पतालों को चिन्हित करने की बात कर रहे हैं जो उनकी गैर जिम्मेदाराना रवैया को दर्शाता है। बताया जाता है कि उपरोक्त अस्पताल व नर्सिंग होम की देखरेख व जिम्मेदारी अपर सीएमओ डॉक्टर खालिद रिजवान की लेकिन साहब को यही नहीं पता रहता ह कि जिले में कितनी नर्सिंग होम अस्पताल फर्जी चल रही है। मीडिया द्वारा जानकारी हासिल करने पर गुमराह करने जैसा बयान देकर सरकार की मंशा पर खुलेआम सवाल खड़ा कर रहे हैं। वहीं सीएमओ डॉ वीरेंद्र सिंह का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर वह विभागीय लोगों के साथ
न्यू आरोही हास्पिटल भी चलता रहा राम भरोसे
इसी तरह शहर मुख्यालय से महज़ लगभग 25 किलोमीटर की दूरी गुरबक्श गंज थाना क्षेत्र में न्यू आरोही नामक हॉस्पिटल बिना रजिस्ट्रेशन के धड़ल्ले से चल रहा था सरकारी अमला सहित स्वास्थ्य विभाग बेखबर रहा या फिर यूं मान लिया जाए कि स्वास्थ्य विभाग जानकर अनजान बना रहा है जब अस्पताल में उपचार के दौरान एक मौत हूई और जब आक्रोशित जनसमूह ने शिवाजी महाराज पताल पर सवाल खड़े किए तो स्वास्थ्य विभाग की नींद जागी और शुरू हुई जांच की प्रक्रिया।
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