गांवों में छोटी सरकार (ग्राम प्रधान) विदा हो चली है और राजनीतिक पार्टियों ने अपनी अपनी गोट बिछानी शुरू कर दी है। चुनावी चक्रव्यूह को रचने के लिए सबसे पहले भाजपा ने कमर कस ली है। तय हो गया है कि पहले जिला नहीं मंडल चमकाया जाएग। जिला स्तर के बड़े बडे ओहदेदारों की भी डयूटी गांवों में लगाई गई है। ताकि दमखम अजमा कर परफारर्मेंस चेक की जा सके।
चुनावी रण में लगातार ही देश के विभिन्न कोनों कोनो में विरोधियों को चौंका रही सत्ता पक्ष की पार्टी भाजपा ने जिला स्तर पर भी तैयारी फुलप्रूफ की है। जिससे ग्राम पंचायत की सबसे निचली इकाई तक पैठ मजबूत हो सके। सीधा सा संदेश है कि गांव की इकाई मजबूत होगी तो इससे दूरगामी फायदे होंगे। इसकी वजह स्पष्ट है कि दिल्ली तक के सफर में छोटे छोटे गांवों से मिलने वाला इनपुट ही मार्ग प्रशस्त करता है। इसी क्रम मे पिछले दिनों किसान सम्मेलन से पूर्व आए बरेली आए प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव ने अंदरखाने अपने संगठन से तैयारी चौकस कर लेने के निर्देश कर दिए थे।
इससे पूर्व कोरोना संक्रमण काल में भी गांव गांव तक भाजपा के पदाधिकारी तमाम तरह की इमदाद आदि लेकर पहुंचे थे और रिश्तों को खास बनाया था। लिहाजा ग्राम पंचायत चुनाव से पूर्व भाजपा की गणित और चक्रव्यूह फिलहाल मजबूत नजर आ रहा है। संजीव प्रताप सिंह, जिलाध्यक्ष, भाजपा का कहना है कि जिले से पहले हम मंडल मजबूत कर रहे हैं। भाजपा ऐसी पार्टी नहीं कि एक चुनाव के बाद थक कर बैठ जाए। हम लगातार जनता के बीच जाते है और अपनी तैयारी शुरू कर देते हैं। सभी बड़े चेहरों को भी दायित्व देने के लिए हमने प्लानिंग कर ली है।
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