रामसनेहीघाट, बाराबंकी। एक तरफ तो किसान अपने धान की सरकारी बिक्री करने के लिए परेशान हैं तो वहीं दूसरी तरफ सहकारी क्रय केन्द्रों पर तौल बंद हो गई है।सहकारी क्रय केन्द्रों के बंद होने के बाद इकलौते बाकी बचे विपणन केन्द्रों पर भीड़ का दबाव इस कदर बढ़ गया है कि खरीद प्रभारियों को इज्जत बचाने के लाले पड़ रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार तहसील क्षेत्र में किसानों के धान की खरीद करने के लिए सरकार की तरफ से विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से खोले क्रय केन्द्रों पर शुरू से ही किसानों की भीड़ लग रही है और समय पर तौल न होने से घर बार छोड़कर डेरा जमाना पड़ रहा है।इसी बीच सहकारी समितियों के केन्द्रों पर अचानक तौल बंद कर दी गई है और तर्क दिया जा रहा है कि मिल वाले खरीदे गये धान को नहीं ले रहे हैं तथा पैसे की कमी आ गई है।सहकारी क्रय केन्द्रों पर तौल बंद होने के बाद अब विपणन विभाग के खरीद केन्द्र ही एकमात्र विकल्प बचे हैं।
दरियाबाद विपणन केंद्र पर किसान शुरू से ही मनमानी एवं घपलेबाजी का आरोप लगा रहे हैं।किसानों का कहना है कि यहाँ पर केन्द्र पर कम तौल की जा रही है और बिचौलियों का धान सीधे मिल पर भेजा जा रहा है।तहसील मुख्यालय से जुड़े विपणन क्रय पर हमेशा की तरह इस बार भी अबाध गति से तौल हो रही हैं और जिन क्षेत्रों में सहकारी केंद्र खुले थे वहां के भी किसान यहाँ पर अपना धान लेकर आ रहे हैं।यहाँ पर शुरू में ही किसानों को धान तौलने के लिये फरवरी तक के लिये पंजीकृत कर लिया गया था लेकिन बाद में तहसीलदार द्वारा इसे निरस्त कर दिया गया था ताकि किसानों को लम्बा इंतजार न करना पड़े।इस केन्द्र पर किसानों की सुविधा के लिए दो कांटे लगाये गए हैं और दोनों पर लगातार तौल हो रही है।इस क्षेत्र के किसानों का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि अचानक किसान यूनियन की धान भरे टैक्ट्ररों को जिले से यहाँ भेज दिया गया और स्थानीय किसान यूनियन के लोग भी टैक्टर ट्राली लाकर तत्काल तौल करने का दबाव बनाने लगे।फलस्वरूप जो किसान अपनी बारी आने की राह देख रहे थे वह लावरिश होकर महीनों पीछे चले गए और वह आज भी अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं।वर्तमान समय में इस केन्द्र पर दर्जनों धान लदे टैक्टर खड़े हैं और उनके आने का क्रम लगातार जारी है।यहाँ पर छोटे किसानों के धान की तौल करने के लिए सप्ताह में दो दिन मंगलवार व शुक्रवार निश्चित किया गया है और दोनों दिन सिर्फ दो चार से लेकर तीस पैतिस कुंटल तक वाले किसानों की तौल प्राथमिकता के आधार पर की जा रही है।यहाँ पर अबतक करीब पांच करोड़ रुपये का छब्बीस हजार कुंटल धान की खरीद हो चुकी है जिसमें से करीब बीस हजार कुंटल धान चावल बनाने के लिए मिल भेजा जा चुका है।केन्द्र पर सुबह से शाम तक लोगों की भीड़ केन्द्र प्रभारी पर जा बेजा दबाव बनाती रहती है और प्रभारी को इज्जत बचाने में लाले पड़ रहे हैं। इस सम्बंध में उपजिलाधिकारी एवं तहसीलदार से सम्पर्क न हो पाने के कारण सरकारी पक्ष प्रस्तुत नहीं हो सका है।
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