इटावा । कृषि बिल किसान हित में ही है क्यों कि, पहले बिल में केंद्र सरकार ने किसानों को देश में कहीं भी फसल बेचने को आजाद किया है। ताकि राज्यों के बीच कारोबार बढ़े। जिससे मार्केटिंग और ट्रांस्पोर्टिशन पर भी खर्च कम होगा। द्वितीय बिल में सरकार ने किसानों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रोविज़न किया गया है. यह बिल कृषि पैदावारों की बिक्री, फार्म सर्विसेज़, कृषि बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और एक्सपोर्टर्स के साथ किसानों को जुड़ने के लिए मजबूत करता है. कांट्रेक्टेड किसानों को क्वॉलिटी वाले बीज की सप्लाई यकीनी करना, तकनीकी मदद और फसल की निगरानी, कर्ज की सहूलत और फसल बीमा की सहूलत मुहैया कराई गई है । तृतीय बिल में अनाज, दाल, तिलहन, खाने वाला तेल, आलू-प्याज को जरूरी चीजो की लिस्ट से हटाने का प्रावधान रखा गया है। जिससे किसानों को अच्छी कीमत मिले। नए किसान बिल के मुख्य प्रावधान में अब कोई भी किसान अपनी फसल को मंडी के बहार भी व्यापारी के पास एवं देश के किसी भी हिस्से में कहीं भी बेच सकता है। किसानों को किसी भी प्रकार का कोई उपकर भी नहीं देना होगा। नये किसानों को एक ई-ट्रेडिंग मंच प्रदान किया जायेगा। जिससे माध्यम से इलेक्ट्रोनिक निर्बाध व्यापार सुनिश्चित किया जा सके। मंडियों के अतिरिक्त व्यापार क्षेत्र में फॉर्मगेट, कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, प्रसंस्करण यूनिटों पर भी व्यापार की स्वतंत्रता होगी। किसान और व्यापारी सीधे एक दूसरे जुड़ सकेंगे जिससे बिचौलियों का लाभ समाप्त होगा। उन्होंने कहा कि किसानों के मन मे कुछ शंकाएँ है जो में दूर करना चाहूंगा जैसे कि,सरकार द्वारा निर्धारत किया गया न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज की ख़रीद बंद हो जाएगी? किसान फसल को मंडी से बहार बेचता है। तो एपीएमसी मंडियां समाप्त हो जाएंगी ? ई-नाम जैसे सरकारी ई-ट्रेडिंग पोर्टल का क्या होगा ? इसके समाधान में उन्होंने कहा कि, MSP पर पहले की तरह फसल की खरीद जारी रहेगी। किसान अपनी उपज एमएसपी पर बेच सकेंगे। आगामी रबी सीजन के लिए एमएसपी अगले सप्ताह घोषित की जाएगी। किसान को अनाज मंडी के अलावा दूसरा ऑप्शन भी मिलेगा। सरकार द्वारा शुरू की गयी ई-नाम ट्रेडिंग व्यवस्था भी जारी रहेगी। इलेक्ट्रानिक मंचों पर कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ेगा। इससे पारदर्शिता आएगी और समय की बचत होगी। विपक्ष द्वारा किसान बिल से जुड़ी अफवाह फैलाने तथा उसकी असली सच्चाई पर उन्होंने कहा कि, सवाल है कि, न्यूनतम समर्थन मूल्य का क्या होगा ? किसान बिल असल में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य न देने की साजिश है? तो सच यह है कि,किसान बिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य से कोई लेना-देना ही नहीं है। बल्कि एमएसपी दिया जा रहा है और भविष्य में भी दिया जाता रहेगा। अब सवाल यह कि, मंडियों का क्या होगा? मंडियां खत्म हो जाएंगी? तो
सच यह है कि मंडी सिस्टम जैसा था, वैसा ही रहेगा। अब सवाल यह कि, क्या यह एक किसान विरोधी बिल है ? किसानों के खिलाफ है ? तो में बताना चाहूंगा कि, इस किसान बिल से किसानों को आजादी ही मिलेगी अब किसान अपनी फसल किसी को भी और कहीं भी बेच सकते हैं। इससे ‘वन नेशन वन मार्केट’ भी स्थापित होगा। बड़ी फूड प्रोसेसिंग कंपनियों के साथ पार्टनरशिप करके किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे। अब सवाल कि बड़ी कंपनियां किसान का शोषण करेंगी? कॉन्ट्रैक्ट के नाम पर शोषण करेंगी ? तो सच यह है कि,समझौते से किसानों को पहले से तय दाम ही मिलेंगे लेकिन किसान को उसके हितों के खिलाफ भी नहीं बांधा जा सकता है। किसान उस समझौते से कभी भी हटने के लिए स्वतंत्र होगा, इसलिए लिए उससे कोई पेनाल्टी भी नहीं ली जाएगी। अब सवाल कि,क्या छिन जाएगी किसानों की जमीन ? किसानों की जमीन पूंजीपतियों को दी जाएगी ? तो उन्होंने कहा कि, सच तो यह है कि बिल में साफ कहा गया है कि किसानों की जमीन की बिक्री, लीज और गिरवी रखना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। समझौता फसलों का होगा, जमीन का नहीं। अब सवाल कि किसानों को बड़ा नुकसान है ? किसान बिल से बड़े कॉर्पोरेट को ही फायदा है? तो सच यह है कि, कई राज्यों में बड़े कॉर्पोरेशंस के साथ मिलकर किसान गन्ना, चाय और कॉफी जैसी फसल भी उगा रहे हैं। अब इस बिल से छोटे किसानों को ज्यादा फायदा मिलेगा और उन्हें तकनीक और पक्के मुनाफे का भरोसा भी मिलेगा। उक्त सारी बातें सांसद डॉ रामशंकर कठेरिया ने आज आयोजित प्रेस वार्ता में कही । वार्ता में जिलाध्यक्ष अजय धाकरे, प्रशान्तराव चौबे, शिवाकांत चौधरी, अन्नू गुप्ता मौजूद रहे।
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