अयोध्या। अन्नदाता को नवीन कृषि तकनीक और शासन प्रशासन की ओर से चलाई जा रही विभिन्न विभागों की कल्याणकारी योजनाओं से रूबरू कराने के लिए आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज में तीन दिवसीय किसान मेलावा प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। प्रदर्शनी में तमाम सरकारी विभागों की ओर से स्टाल लगाए गए थे और सूबे के मुखिया और आला हाकिम को दिखाने के लिए उद्घाटन के दिन सभी विभागों के कर्ता-धर्ता चाक-चौबंद थे, लेकिन इधर सीएम और मंत्री तथा आला हाकिम रवाना हुए और उधर सरकारी विभागों में अपने अपने स्टाल को समेट लिया। कृषि मेला और प्रदर्शनी के दूसरे दिन न तो पूरे कार्यक्रम में कहीं अन्नदाता नजर आया और न ही सरकारी विभागों के स्टाल और कर्मचारी। तय कार्यक्रम के तहत नवीन शोध और तकनीक पर कृषि वैज्ञानिकों ने अपना व्याख्यान दिया लेकिन सुनने वाले अन्नदाता नदारद रहे। खाली कुर्सियों ने कृषि की नवीन शोध और तकनीक को जाना सुना।
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज तथा प्रदेश के कृषि विभाग की ओर से कृषि विश्वविद्यालय के डीएवी कालेज प्रांगण में तीन दिवसीय किसान मेला और प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। रविवार को दूसरी पहर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने इसका शुभारंभ किया था। इस दौरान कृषि मंत्री और राज्य मंत्री के साथ विभागों के आला हाकिम और भाजपा के नेता पदाधिकारी तथा पार्टी से जुड़े तमाम कार्यकर्ता व किसान मौजूद रहे। यहीं पर मुख्यमंत्री ने अयोध्या मंडल के विभिन्न जनपदों के जनप्रतिनिधियों तथा पार्टी पदाधिकारियों से संवाद किया और किसान सम्मेलन को संबोधित किया। शाम लगभग 4:00 बजे सीएम की परिसर से रवानगी हुई तो मंत्री संत्री, आला अधिकारियों समेत अन्य अपने-अपने गंतव्य को रवाना हो गए।
दूसरे दिन सोमवार को कार्यक्रम स्थल डीएवी कालेज का परिसर पूरी तरह से खाली नजर आया। कृषि वैज्ञानिकों का सत्र जरूर चला, लेकिन वह खाली कुर्सियों से ही संवाद करते दिखे।कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति विजेंद्र सिंह अपना व्याख्यान दे रहे थे और सामने पंडाल में कुर्सियां खाली पड़ी थी। सीएम के रवाना होते ही सरकारी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने-अपने विभाग के स्टाल समेट लिए और नदारद हो गए। प्रदर्शनी में केवल कृषि विश्वविद्यालय से संबंधित स्टाल ही बचे हैं, बाकी स्टालों पर सन्नाटा पसरा हुआ मिला। पूरा मेला क्षेत्र वीरान हो गया है।
क्षेत्र के ही एक किसान का कहना है कि आम जनता की गाढ़ी कमाई का रूपया मुख्यमंत्री और आला अधिकारियों को दिखाने के लिए पानी की तरह बहा दिया गया। उनका कहना है कि राजनीति से जुड़े नेता, कार्यकर्ता और किसान आए थे। वह मुख्यमंत्री के जाने के बाद वापस चले गए। विश्वविद्यालय प्रशासन तथा विभागों की ओर से किसान मेले का ठीक से प्रचार-प्रसार भी नहीं किया गया जिसके चलते किसानों की भीड़ नदारद है। जबकि प्रतिवर्ष किसान मेला और प्रदर्शनी में किसानों की अच्छी-खासी तादाद जमा होती थी।
सोमवार को कृषि विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. अखिलेश सिंह ने बताया कि यह किसान मेला और प्रदर्शनी कृषि विभाग और विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया है। मुख्यमंत्री के जाते ही कृषि विभाग के अधिकारी चलते बने और कृषि विभाग की ओर से प्रदर्शनी में लगाए गए अपने पंडाल को समेट लिया गया। विश्वविद्यालय तय कार्यक्रम के मुताबिक अपने तरीके से किसान मेले का संचालन कर रहा है।हालांकि किसान मेले में किसानों की भीड़ न होने के सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली।
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