नेपाल में प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा संसद भंग करने के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ जिला बांके के नेपालगंज में प्रदर्शन शुरू हो गया है। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि गैरकानूनी, अलोकतांत्रिक कदमों की वजह से देश संकट में है। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने अयोग्य केपी ओली मुर्दाबाद, तानाशाह केपी ओली मुर्दाबाद, केपी ओली देश छोड़ो जैसे नारे जमकर लगाए तथा नेपाल के बीपी चौक से लेकर पुष्पपाल चौक तक रैली निकाली। कोण सभा युवासंघ केंद्रीय सदस्य रतन शाही सहित अन्य नेताओं ने सभा कर लोगों को संबोधित किया। पीएम ओली का कम्युनिस्ट पार्टी के चेयरमैन पुष्प कमल दहल प्रचंड के साथ कई मुद्दों पर विवाद था। दोनों नेताओं के बीच पार्टी की पहल पर पहले एक बार समझौता भी हुआ था, लेकिन बाद में मंत्रिमंडल के बंटवारे को लेकर फिर से खींचतान शुरू हो गई थी। ओली ने अक्टूबर में बिना प्रचंड की सहमति के अपनी कैबिनेट में फेरबदल किया था।
ओली के खिलाफ कार्रवाई का फैसला
नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने ओली के कदम को अलोकतांत्रिक संविधान-विरोधी और तानाशाही बताया है। पार्टी की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में ओली के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है। इसके लिए केंद्रीय समिति में सोमवार को होने वाली बैठक में प्रस्ताव दिया जाएगा।
विरोध में उतरा विपक्ष, ओली को बताया 'तानाशाह*
नेपाल कांग्रेस ने कहा है कि संसद को भंग करने की ओली की सलाह संविधान की आत्मा और प्रावधानों के खिलाफ है और पार्टी इस कदम का मजबूती से विरोध करेगी। पार्टी के प्रवक्ता बिश्व प्रकाश शर्मा ने कहा है हम इसे तानाशाह बनने की ओली ख्वाहिश की ओर आखिरी कोशिश मान रहे हैं। पार्टी का कहना है कि पार्टी की आंतरिक कलह की वजह से कोरोना वायरस की महामारी के बीच देश को अस्थिरता की ओर धकेलना निंदनीय फैसला है।
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