सोनभद्र: सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों के बाद वनाधिकार कानून के तहत जमा दावों की जिला प्रशासन द्वारा कराई जा रही जांच में हो रही अनियमितता और कानून का पालन न करने पर गुरुवार को ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के जिला संयोजक कांता कोल और मजदूर किसान मंच के प्रभारी श्रीकांत सिंह के नेतृत्व में एसडीएम घोरावल जैनेंद्र सिंह को ज्ञापन सौंपा गया।ज्ञापन में एसडीएम से घोरावल में सत्तारूढ़ दल के नेताओं के इशारे पर कोल समुदाय के लोगों पर शांति भंग का मुकदमा कायम करने और उन्हें उजाड़ने की कोशिश पर रोक लगाने की मांग की गई ताकि घोरावल में उभ्भा कांड की पुनरावृत्ति से बचा जा सके।इस संबंध में एआइपीएफ के नेता दिनकर कपूर ने भी ईमेल के माध्यम से डीएम को पत्र भेज कर आवश्यक कार्रवाई की मांग की है।पत्र में नेताओं ने प्रदेश सरकार के सूचना और शासनादेशों के अनुरूप कोलो को वनाधिकार कानून में जनजाति का लाभ प्रदान करने की भी मांग की है।
डीएम व एसडीएम को दिए ज्ञापन में बताया गया कि वनाधिकार कानून के अनुपालन में नियमों व कानूनों का पालन जमीनी स्तर पर नहीं किया जा रहा है।परसौना गांव का उदाहरण देते हुए कहा कि इस गांव में गोड़ आदिवासी समुदाय के लोग पुश्तैनी रूप से वन भूमि पर काबिज है और इसके पर्याप्त प्रमाण उनके पास है, लेकिन मौके पर गए क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा वनाधिकार कानून के नियमों के अनुसार न तो स्थलीय निरीक्षण किया गया और न ही किसी भी दावेदार को निरीक्षण के संबंध में कोई भी लिखित सूचना दी गई। स्पष्टतः यह वनाधिकार कानून और उसके सुसंगत नियमो 2008 व यथा संशोधित नियमावली 2012 के विरुद्ध है। यह माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना है। कोल समुदाय के लोगों पर शांतिभंग का मुकदमा कराकर उन्हें पुश्तैनी जमीन से उजाड़ने की लगातार कोशिश की जा रही है।तनाव का यह माहौल वहां उभ्भा कांड की पुनवृत्ति करा सकता है जिसे रोकने की जरूरत है।पत्र मे प्रदेश सरकार की अधिसूचना 2005 का हवाला देते हुए कोल जाति को वनाधिकार कानून में जनजाति का लाभ प्रदान करने की मांग उठाई गई है।ज्ञापन सौंपने के दौरान अमर सिंह गोंड़, सेवालाल कोल, संतलाल बैगा, केशनाथ मौर्या, राम दुलारे प्रजापति, सूरज कोल, लाल बहादुर गोड़, सुभाष भारती, विजय कोल, कैलाश चौहान, सुमारी पासी, छोटकी कोल, रूपलाल कोल, द्वारिका बिंद समेत कई ग्रामीण मौजूद रहे।
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