-शस्त्र लाइसेंस की फाइलें गायब होने के बाद कलेक्ट्रेट में हड़कंप
-डीएम कार्यालय के लिपिक ने कोतवाली में दर्ज कराई रिपोर्ट
ब्यूरो कार्यालय (कानपुर): एनकाउंटर में मारे जा चुके बिकरू कांड के मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे के शस्त्र लाइसेंस की फाइल समेत करीब 200 फाइलें कलेक्ट्रेट से “लापता” हो गई हैं। शस्त्र लाइसेंस की फाइलों के गायब होने के बाद प्रशासनिक अमले में हड़कंप का माहौल है। विभागीय जांच के बाद जब फाइलों के गायब होने का खुलासा हुआ तो देर रात्रि डीएम कार्यालय के लिपिक वैभव अवस्थी ने तत्कालीन सहायक शस्त्र लिपिक और वर्तमान समय में अपर नगर मजिस्ट्रेट के रीडर विजय रावत के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी। कोतवाली पुलिस मुकदमा पंजीकृत करने के बाद मामले की छानबीन कर रही है।
कोतवाली पुलिस को दी गई तहरीर के मुताबिक, विकास दुबे का शस्त्र लाइसेंस 25 जुलाई 1997 को स्वीकृत हुआ था। पत्रावली तत्कालीन सहायक शस्त्र लिपिक विजय रावत की अभिरक्षा में रखी गई थी, जो कि अब एसीएम (2) के रीडर हैं। इस पत्रावली को 23 जुलाई 2020 को अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व ने पत्र भेजकर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। एडीएम का पत्र 29 जुलाई 2020 को उन्हें रिसीव कराया गया, लेकिन अब तक विजय ने पत्रावली न तो शस्त्र कार्यालय में प्रस्तुत की और न ही किसी कर्मचारी के चार्ज में दी। पत्रावली को अभिलेखागार में भी नहीं दाखिल किया गया है। विजय रावत ने अपने स्पष्टीकरण में जवाब देते हुए कहा है कि पत्रावली तलाश करने पर भी उपलब्ध नहीं हो रही है। आशंका जताई गई कि विजय रावत ने जानबूझकर पत्रावली को गायब कर दिया। इसके बाद मामले की जांच नगर मजिस्ट्रेट को जांच सौंपी गई। नगर मजिस्ट्रेट ने जांच की तो पता लगा कि विकास दुबे की फाइल के साथ ही शस्त्र लाइसेंस संख्या 131 से लेकर 330 तक की सभी फाइलें रिकार्ड से गायब हैं। इनके रखरखाव की जिम्मेदारी विजय रावत की ही थी।
जांच पूरी करने के बाद नगर मजिस्ट्रेट ने विस्तृत रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी। डीएम के आदेश पर लिपिक वैभव अवस्थी ने कोतवाली में तहरीर दी। कोतवाली इंस्पेक्टर संजीवकांत मिश्र के मुताबिक वैभव अवस्थी की तहरीर पर विजय रावत के खिलाफ सरकारी संपत्ति के गबन की धारा 409 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। विवेचना के बाद आगे की कार्रवाई होगी।
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