पिछले एक सप्ताह मे ढाई हजार नेपाली काम तलाशने पहुंचे भारत, नेपाल मे नही मिल रहा है उन्हें रोजगार, प्रतिदिन तीन सौ नेपाली पहुंच रहे है भारत

पिछले एक सप्ताह मे ढाई हजार नेपाली काम तलाशने पहुंचे भारत, नेपाल मे नही मिल रहा है उन्हें रोजगार, प्रतिदिन तीन सौ नेपाली पहुंच रहे है भारत


बहराइच/रूपैडिहा| कोविड 19 महामारी के जोखिम के बावजूद रोजगार के लिए नेपालगंज से भारत में प्रवेश करने वाले नेपालियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।


पुलिस कार्यालय जमुनहा के अनुसार पिछले एक सप्ताह में 2500 से अधिक नेपालियों ने भारत-नेपाल सीमा पार करके भारत में प्रवेश किया है।


क्षेत्र पुलिस कार्यालय जमुनहा के पुलिस प्रमुख बिष्णु गिरी ने कहा कि प्रतिदिन लगभग 300 नेपाली 10 सितंबर से रोजगार के लिए भारत के विभिन्न शहरों में जा रहे हैं। प्रमुख गिरि के अनुसार एक सप्ताह की अवधि में लगभग 2500 नेपाली कामगारों ने भारत-नेपाल सीमा पार कर भारत के विभिन्न राज्यों में रोजी रोटी के लिए गए हुए हैं ।


उन्होंने कहा कि भले ही भारत नेपाल सीमा कोविड 19 के कारण बंद हो गई हो लेकिन भारत में काम करने वाले अधिकांश नेपालियों के पास भारतीय आधार कार्ड है और वे इसे दिखा कर भारत लौट रहे हैं।


भारत में बंदी के कारण काम न मिलने पर नेपाली कामगार नेपाल वापस आ गए थे। पहाड़ी जिलों के नेपालियों ने कहा कि उन्हें फिर से भारत जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है क्योंकि हमें नेपाल में रोजगार नहीं मिला। 


नेपाली कामगारों को नेपाल मे नही मिल रहा है काम


नेपाली कामगार दीपक थापा नारायण नगर पालिका 4 दैलख नेपाल के जो भारत मे प्रवेश के लिए जमुनहा बॉर्डर पहुँचे थे दीपक ने बताया कि उन्हें रोजगार के लिए फिर से शिमला जाना पड़ रहा है क्योंकि नेपाल लौटने के तीन महीने बाद भी उन्हें गाँव में कोई काम नहीं मिला।उन्होंने अफसोस जताया कि उन्हें अपने देश में रोजगार नहीं होने से कारण मित्र राष्ट्र भारत में आजीविका के लिए जाना पड़ रहा है। इसी तरह के एक अन्य युवा राम बहादुर बीके तमारे सल्लयान नेपाल ने कहा कि वह नेपाल में रोजगार नहीं मिलने के बाद भारत लौटने लगे है। उन्होंने कहा कि कोरोना से ज्यादा पेट पालने की चिंता के बाद वह लौटे।


नेपालियो का कहना है की यहां पूरे तो भूखो मरना पड़ेगा


अधिकांश नेपालियों का कहना है कि वे यह सोचकर भारत लौट रहे हैं कि यदि वे कोरोना के डर से नेपाल में रहेंगे तो जिंदा रहने के लिए अपनी आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।


 


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