अमेरिका को चुनौती देने के लिए चीन गुपचुप तरीके से ईरान के साथ साठगांठ कर रहा है। दोनों देश व्यापार और सैन्य साझीदारी के बेहद करीब पहुंच गए हैं। इसके लिए चुपके से समझौते का मसौदा भी तैयार कर लिया गया है। यह समझौता होने से अमेरिकी प्रतिबंधों से जूझ रहे ईरान के ऊर्जा और दूसरे क्षेत्रों में अरबों डॉलर के चीनी निवेश का रास्ता खुल जाएगा।
ईरान को लेकर अमेरिका और चीन में ठनी
ट्रंप प्रशासन ईरान के परमाणु कार्यक्रम और सैन्य महत्वाकांक्षाओं को लेकर इस देश को दुनिया में अलग-थलग करने के प्रयास में जुटा है। जबकि चीन इस अमेरिकी मुहिम को झटका देने के लिए ईरान को साधने की ताक में है।
ईरान से समझौता करने से चीन को पश्चिम एशिया में पैर जमाने का मौका मिल सकता है
न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार को मिले 18 पेज के प्रस्तावित समझौते के अनुसार, दोनों देशों में साझीदारी होने से ईरान के बैंकिंग, संचार, बंदरगाह, रेलवे और दर्जनों दूसरी परियोजनाओं में चीन की मौजूदगी बड़े पैमाने पर बढ़ जाएगी। इसके बदले में चीन को आगामी 25 साल तक ईरानी तेल की आपूर्ति की जाएगी। मसौदे में सैन्य सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है। इससे चीन को पश्चिम एशिया में पैर जमाने का मौका मिल सकता है।
अमेरिका के लिए ईरान दशकों से चिंता का विषय रहा है
अमेरिका के लिए यह क्षेत्र सामरिक रणनीति के लिहाज से दशकों से चिंता का विषय रहा है। प्रस्तावित समझौते में सैन्य क्षेत्र में संयुक्त प्रशिक्षण, अभ्यास, अनुसंधान और हथियारों के विकास की भी बात कही गई है।
रूहानी मंत्रिमंडल ने चीन के साथ साझेदारी पर लगाई मुहर
ईरान के विदेश मंत्री जावद जरीफ ने बीते हफ्ते कहा था कि राष्ट्रपति हसन रूहानी के मंत्रिमंडल ने साझेदारी पर अपनी मुहर लगा दी है। यह प्रस्ताव वर्ष 2016 में ईरान दौरे पर आए चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने दिया था। ईरानी अधिकारियों ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि चीन के साथ समझौता लंबित है। जबकि एक अन्य ईरानी अधिकारी ने बताया कि जून में ही मसौदा को अंतिम रूप दे दिया गया। इस पर अभी तक संसद की मुहर नहीं लगी है।
ईरान के साथ समझौता होने से अमेरिका और चीन के संबंध और खराब हो सकते हैं
इधर, चीनी अधिकारियों ने समझौते की शर्तो के बारे में कुछ भी बताने से इन्कार किया है। यह माना जा रहा है कि यह समझौता होने से अमेरिका और चीन के संबंध और खराब हो सकते हैं। दोनों देशों के बीच कोरोना महामारी और हांगकांग मसले को लेकर पहले से ही तनातनी चल रही है।
ईरान पर लगाए हैं सख्त प्रतिबंध
ट्रंप प्रशासन ने ईरान को लेकर आक्रामक नीति अपना रखी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ किए गए परमाणु समझौते से वर्ष 2018 में अमेरिका के हटने का एलान किया था। इसके बाद उस पर कई सख्त प्रतिबंध लगा दिए थे।
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