कोरोना के नाम पर अंधविश्वास भी फैलने लगा है। कुछ दिन पहले महराजगंज के एक गांव में कोरोना से गांव की रक्षा के लिए महिलाएं विशेष पूजा कर रही थीं तो अब कुशीनगर के कुछ ग्रामीण इलाकों से वैसी ही सूचनाएंं मिल रही हैंं।
कुशीनगर के कुछ गांवों की महिलाएं 'कोरोना माई' की पूजा नौ लड्डू और नौ लौंग चढ़ा कर रही हैं। बिहार में महिलाओं द्वारा ऐसी पूजा का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा था। शुक्रवार को कुुुुुशीनगर के भी कुछ स्थानों से भी ऐसी पूजा किए जाने की सूचनाएं आईं। लोगों से मिली जानकारी के अनुसार सबसे पहले इस अंधविश्वास की शुरुआत बिहार से सोशल मीडिया पर आए संदेशों से हुई।यह अंधविश्वास धीरे-धीरे फैल रहा है। महिलाओं का कहना है कि पूजा से 'कोरोना माई' प्रसन्न होंगी और उनके गांव पर इस बीमारी का असर नहीं पड़ेगा।
कुशीनगर जिला मुख्यालय से सटे पडरौना शहर में शुक्रवार की भोर करीब 4 बजे से ही महिलाएं खाली जमीन अथवा जूनियर हाईस्कूल और डिग्री कॉलेज के खेल मैदान में जुटने लगी। जमीन में छोटा सा गड्ढा खोदने के बाद उसमें पानी डालकर महिलाओं ने कोरोना माई का नाम दे दिया। महिलाओं द्वारा नौ लड्डू और नौ लौंग चढ़ाकर कोरोना माई की पूजा की गई। इसी तरह जिले के तमकुहीराज, कसया, हाटा, कप्तानगंज, खड्डा तहसील क्षेत्रों में भी महिलाओं ने पूजा किया। सुबह-सुबह जुटी महिलाओं से बातचीत की गई तो इनका कहना रहा कि कोरोना महामारी को भगाने के लिए यह पूजा कर रही हैं। अब सोचने वाली बात है कि ऐसे में अगर यू अंधविश्वास का धुआं उड़ेगा, तो स्वभाविक है लोगों की भीड़ बढ़ने के साथ पूजा-अर्चना और कुछ लोगों का कारोबार चल पड़ेगा। दो महिलाओं से शुरू हुई यह अफवाह पूरे जिले में फैल गया है।
सोशल मीडिया से मिला अंधविश्वास को बल
आधुनिक दौर में सोशल मीडिया पर की जाने वाले बातें बहुत ही कम समय में लोगों तक पहुंच जाती है। गुरुवार को व्हाटसएप और फेसबुक के अलावा तमाम सोशल मंचों पर इस पूजा के विषय में कुछ लोगों ने पोस्ट कर दिया। शेयर इतनी तेज हुई कि यह बात घर में बैठी गृहणी महिलाओं तक पहुंच गई। रात में ही पूजन सामग्री की खरीदारी कर ली गई थी और सुबह होते ही शुरू हो गया अंधविश्वास का दौर। दोपहर तक महिलाओं ने पूजा किया।
कोरोना के नाम ऐसे अंधविश्वास के कई मैसेज और वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं।लोगों का कहना है कि प्रशासन को ऐसे वीडियोज और संदेशों पर तत्काल अंकुश लगाना चाहिए ताकि कोरोना के नाम पर लोग जाने-अनजाने गलत धारणाओं के शिकार न बनें। इस बीमारी का अब तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सकता है। सोशल डिस्टेसिंग और साफ-सफाई रखकर ही इससे बचा जा सकता है।
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