नई दिल्लीः कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को रात आठ बजे देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने देशवासियों से कोरोना का मुकाबला करने के लिए नए ‘आत्मनिर्भर भारत’ नारा दिया। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण का मुकाबला करते हुए दुनिया को 4 महीने से ज्यादा समय बीत गया है। इस दौरान तमाम देशों के 42 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। पौने तीन लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में भी अनेक परिवारों ने स्वजन खोए हैं। पीएम ने कहा कि मैं सभी के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। एक वायरस ने दुनिया को तहत नहस कर दिया है। विश्वभर में करोड़ों जिदिगियां संकट का सामना कर रही हैं। सारी दुनिया जिदंगी बचाने में एक प्रकार से जंग में जुटी है। हमने ऐसा संकट न देखा है न ही सुना है। निश्चित तौर पर मानव जाति के लिए अल्कपनीय है। लेकिन थकना, हारना. टूटना बिखरना मानव को मंजूर नहीं है। सतर्क रहते हुए ऐसी जंग की सभी नियम का पालन करते हुए हमें बचना भी है। आज हमें अपना संकल्प और मजबूत करना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा संकल्प और मजबूत करना होगा। साथियो हम पिछले कई दशकों से सुनते आए हैं। कि 21वीं सदी भारत की है। कोरोना संकट के बाद भी दुनिया में जो स्थितियां बन रही हैं। उसे भी हम देख रहे हैं। जब हम दोनों कालखंड को दोनों नजरिए से देखते हैं तो हम 21वीं सदी भारत की हमारी जिम्मेदारी ही नहीं हमारा संकल्प भी है। इसका मार्ग एक ही है आत्मनिर्भर, आत्मनिर्भर भारत ही एक रास्ता है। एक राष्ट्र के रूप में आज हम एक अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदा भारत के लिए एक संकल्प लेकर आई है। एक संदेश लेकर आई है।
पीएम मोदी ने कहा कि जब कोरोना संकट शुरु हुआ, तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनीं थी। एन95 मास्क का भारत में नामात्र का उत्पादन होता था। आज भारत में हर रोज 2 लाख पीपीई और 2 लाख एन95 मास्क बन रहे हैं। ये हम इसलिए कर पाए कि आपदा को अवसर में बदल पाए। आपदा को अवसर में बदलने की यह संकल्पसिद्धि भारत के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण होने वाली है। ग्लोबल में आत्मनिर्भर की परिभाषा बदल रही है। विश्व का सामने भारत एक आशा की किरण नजर आता है। भारत की संस्कृति, भारत के संस्कार उस आत्मनिर्भर की बात करते हैं, वसुधैव कुटुम्बक। भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख सहयोग और शांति की चिंता होती है। जो जीव मात्र का कल्याण चाहती हो, जो पूरे विश्व को परिवार मानती हो। जो पृथ्वी को मां मानती हो। वो संस्कृति और भारत भूमि आत्मनिर्भर बनती है। भारत की प्रगति में तो हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत के लक्ष्यों का प्रभाव, भारत के कार्यों का प्रभाव विश्व कल्याण पर पड़ता है। जब भारत के अभियानों का असर दुनिया पर पड़ता ही है। इंटरनेशनल सोलर अलांयस, योगा दिवस मानव जीवन को तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए। जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं। स्वभाभिक है हर भारतीय गर्व करता है। दुनिया को विश्वास होने लगा है भारत बहुत अच्छा कर सकता है। मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत अच्छा देश है। आखिर कैसे। इस सवाल का उत्तर है 130 करोड़ भारतीयों का आत्मनिर्भर। हमारा सदियों पुराना इतिहास है।
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