बशीर मियां के विसाली कुल में उमड़े अक़ीदतमन्द,तक़रीरी महफ़िल में बुजुर्गों की करामातों पर उलेमा ने रोशनी डाली

बशीर मियां के विसाली कुल में उमड़े अक़ीदतमन्द,तक़रीरी महफ़िल में बुजुर्गों की करामातों पर उलेमा ने रोशनी डाली


बरेली के मोहल्ला गुलाबनगर में उर्से बशीरी के दूसरे दिन की शुरुआत बाद नमाज़े फ़ज़र क़ुरआन ख़्वानी से हुई,दूरदराज से दिनभर दरगाह बशीरी पर चादरों के जुलुस का दौर जारी रहा कई शहरों व गांवों से भी चादरों के जुलूस दरगाह पहुँचे,मज़ारे मुबारक़ पर अहमद उल्लाह वारसी,शारिक बशीरी ने गुलपोशी कर अमन भाईचारे के लिये ख़ुसूसी दुआ की।बरेली हज सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्वमंत्री हाजी अताउर्रहमान ने दरगाह बशीरी पर हाज़री दी और उर्से मुबारक़ की मुबारक़बाद पेश करते हुऐ,मुल्क़ ओ मिल्लत की सलामती खुशहाली,अमनो अमान के साथ साथ भाईचारे को ख़ुसूसी दुआँ माँगी,उन्होंने कहा कि हज़रत बशीर मियां वली हैं उन्होंने अंग्रेजी शासन में भी दीनदुखियों की हमेशा मदद की,बशीरी लंगर और दुआँ से कभी को सवाली खाली न गया,इसमें मौके पर बरेली हज सेवा समिति के संस्थापक पम्मी खान वारसी,मोहसिन इरशाद,हाजी साकिब रज़ा खाँ,आसिम हुसैन क़ादरी,जियाउर्रहमान,हाजी ताहिर आदि ने भी दरगाह पर ख़ुसूसी दुआएं माँगी।


बाद नमाज़े इशा हज़रत बशीर मियां रहमतुल्लाह अलेह के विसाली कुल शरीफ़ की रस्म अदा की गई,कुल में हिंदुस्तान और आवाम की सलामती कामयाबी,तरक़्क़ी,खुशहाली को ख़ुसूसी दुआ की गई।इससे पहले उलेमा इकराम की तक़रीरी महफ़िल में बुजुर्गों की शख्सियत को बयां किया गया।


दरगाह बशीरी के मुहम्मद इस्माईल बशीरी ने हज़रत बशीर मियां की करामातों को बताते हुए कहा कि हिंदुस्तान पाकिस्तान के बंटबारे के वक़्त बहुत से लोग पाकिस्तान जाना चाहते थे तो कुछ लोग हज़रत बशीर मियां साहब से इजाज़त लेने पहुँचे तब हज़रत बशीर मियां साहब ने उनसे कहा कि पाकिस्तान में कोई दूसरा खुदा हो तो चले जाओ,यह सुनकर लोगो ने पाकिस्तान जाने का इरादा बदल दिया,हज़रत बशीर मियां साहब ने वतन से मोहब्बत करने की सीख दी हैं, इसी तरह अंग्रेजी हुकूमत के दौर में ज़रूरतमंदो के लंगर का इन्तेज़ाम जारी रखा,एक बार अंग्रेजी हुकूमत से किसी ने शिकायत कर दी कि हज़रत बशीर मियां के लंगर खाने में अनाज बहोत जमा हैं जब ब्रिटिश फ़ौज ने लंगरखाने की तलाशी ली तो बोरियो रेत कोयला था तलाशी के बाद हज़रत बशीर मियां ने अंग्रेजी फ़ौज के कोतवाल से पूछा ,क्या मिला तब हज़रत बशीर मियां ने ब्रिटिश फ़ौज के अफसर से कहा कि फिर से चेक करो दोबारा देखा तो उन्हीं बोरियो में अनाज भरा मिला तो ये माजरा देखकर अंग्रेजी फ़ौज के अफसर हज़रत बशीर मियां के कदमो में गिर पड़े और माफ़ी माँगी,तब उनसे हज़रत बशीर मियां ने कहा कि यह अनाज ज़रूरतमन्दो के लिये हैं,ये लंगर 12 साल तक जारी रहा,इसी तरह हज़रत की सैकड़ों करामाते हैं।


देररात तक महफ़िल जारी रही इस मौके पर बरेली हज सेवा समिति संस्थापक पम्मी खान वारसी ने कहा कि बशीरी दरवार से कोई भी सवाली कभी खाली न गया।


इसमें मुख्य रूप से बरेली हज सेवा समिति संस्थापक पम्मी खान वारसी,अहमद उल्लाह वारसी,डॉ शकील मियां,मुन्ने मियाँ,ताज़ीम मियां,मौलाना मुकीम मियां,शारिक बशीरी,अबरार,राजू बशीरी,इस्माइल मियाँ, मो तौकीर,फहीम साबरी,नसीम बशीरी,नसीम,हसीब,जावेद बशीरी, निसार अहमद,अब्दुल अजीज,कैफ़ी वारसी,मकसूद राजू बशीरी,परवेज़,शोएब,सलमान,शाहिद,फ़ाज़िल आदि शामिल रहे।


उर्स के खिदमतगार अहमद उल्लाह वारसी ने बताया कि उर्स के तीसरे दिन शाम 4 बजकर 30 मिनट पर हज़रत बशीर मियां रहमतुल्लाह अलेह के मुख्य कुल शरीफ़ की रस्म अदायगी होगी।


बरेली से मोमीन खान की रिपोर्ट


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