धान की फसल के अवशेष (पराली) जलने पर कर्मचारियों से लेकर अफसरों तक की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। कार्रवाई के भय से संबंधित विभागों ने निगरानी बढ़ा दी है। सख्ती का आलम यह है कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा नई दिल्ली सेटेलाइट्स के जरिए पराली जलाने की वारदातों पर नजर रखा है।
संस्थान से मिली जानकारियों के आधार पर कृषि विभाग का राज्य मुख्यालय और संबंधित जिले कार्रवाई कर रहे हैं। अकेले गोरखपुर मण्डल में अब तक 382 वारदाते सामने आई हैं जिनमें 795 एफआईआर दर्ज कर 8 लेखपालों का निलंबित किया गया है।
पिछले साल की अपेक्षा गोरखपुर मण्डल में पराली जलाने की वादरतों में 74 फीसदी की कमी आई है। पिछले वर्ष गोरखपुर मण्डल में पराली जलाने के 1495 मामले रिपोर्ट किए गए थे, लेकिन इस वर्ष इसी अवधि में सिर्फ 382 मामले रिपोर्ट किए गए हैं। इस साल की सामने आई वारदातों में 1311 किसानों के खिलाफ कार्रवाई हुई है जिन पर 31,69,500 रुपये जुर्माना लगा है। 795 किसानों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है।
11 कम्बाइन मशीनें भी सीज की गई हैं। 38 कर्मचारियों को कारण बताओं नोटिस मिला है। मण्डल में 90 फीसदी तक किसान धान की फसल समेट चुके हैं। सख्ती के कारण गेहूं की बोआई प्रभावित हुई है। किसानों को खेत तैयार करने में वक्त लगा है।
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