वह वक्त था जब स्टेट गेस्ट हाउस कांड ने बदल दी थी उत्तर प्रदेश की सियासत

वह वक्त था जब स्टेट गेस्ट हाउस कांड ने बदल दी थी उत्तर प्रदेश की सियासत


यह वह वक्त था जब उत्तर प्रदेश की राजनीति में गठबंधन प्रयोग का दौर शुरू हुआ था। कांशीराम की अगुवाई वाली पार्टी बसपा से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने 1993 में गठबंधन करके राजनीति की नई इबारत लिखी थी। दोनों पार्टियों ने विधानसभा चुनाव गठबंधन पर लड़कर सत्ता की सीढ़ियां तो चढ़ीं, लेकिन दो साल बाद ही इस रिश्ते में ऐसी दरार पड़ी कि इसकी परिणति स्टेट गेस्ट हाउस कांड के रूप में 2 जून 1995 को सामने आई।


24 साल पहले आखिर ऐसा क्या हुआ था, जिसे खुद मायावती कभी भुला नहीं सकीं। इस घटना में मायावती की जान खतरे में थी, लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा नेता लाल जी टंडन ने वहां पहुंचकर उन्हें बचाया था। उस वक्त मौजूदा डीजीपी ओपी सिंह लखनऊ के एसएसपी थे। मायावती ने भाजपा के समर्थन से सरकार बनते ही उन्हें निलंबित कर दिया था।


राजभवन के हस्तक्षेप के बाद सक्रिय हुई थी पुलिस
वर्ष 1993 के यूपी चुनाव में बसपा और सपा में गठबंधन हुआ था। जिसकी बाद में जीत हुई। मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री बने, लेकिन आपसी खींचतान के चलते 2 जून 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापसी का एलान कर दिया। इससे मुलायम सरकार अल्पमत में आ गई। इससे नाराज सपा कार्यकर्ताओं ने सांसद, विधायकों के नेतृत्व में लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस का घेराव कर शुरू कर दिया। घंटों ड्रामा चला। पुलिस मूकदर्शक बनी रही। बाद में भाजपा के हस्तक्षेप और मामला राजभवन पहुंचने पर पुलिस सक्रिय हुई।


बसपा विधायकों का हो गया था अपहरण
बसपा सुप्रीमो वहां कमरा नंबर-1 में रुकी हुईं थीं। उनके साथ बसपा विधायक और कार्यकर्ता भी मौजूद थे। इस दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने बसपा के लोगों से मारपीट कर उन्हें बंधक बना लिया। मायावती ने खुद को बचाने के लिए कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। इस बीच सपा के दबंग विधायक एक-एक कर बसपा के विधायकों को उठाकर अगवा करने लगे। गेस्ट हाउस के बाहर खड़ी फोटोग्राफरों ने इसे कैमरे में कैद किया और बाद में सीबीसीआईडी ने इसे बतौर सुबूत इस्तेमाल किया। इस कांड में हजरतगंज कोतवाली में तीन मुकदमे दर्ज हुए। इस मामले की तफ्तीश सीबीसीआईडी को दी गई और सीबीसीआईडी ने अरोपपत्र अदालत में दाखिल किया। सरकारें आती और जाती रहीं। स्टेट गेस्ट हाउस कांड का लखनऊ से शुरू हुआ मुकदमा अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।


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