सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ही भव्य राम मंदिर समेत नव्य अयोध्या का खाका तय कर रही है। ट्रस्ट बनाने से लेकर उसके प्रबंधन, वित्तीय अधिकार और विस्तारीकरण की योजनाओं को अंतिम रूप देने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। अफसर कहते हैं कि बाबरी ढांचा ढहाए जाने के अगले माह बने अयोध्या एक्ट में राज्य सरकार की भूमिका नहीं तय की गई है। अब इसी कानून के तहत भावी विकास योजनाओं समेत भूमि के अधिग्रहण की तैयारी होगी।
संपूर्ण अधिगृहीत परिसर के साथ आसपास की भूमि-भवन की स्थिति व गाटा संख्या का भी ब्योरा भेजा जा रहा है। फैजाबाद शहर व सरयू नदी तक दो अलग कॉरिडोर बनाने, सड़क चौड़ीकरण और 84 कोसी, 14 कोसी व पांच कोसी परिक्रमा क्षेत्र के वृहत्तर विकास की तैयारी है। इसमें सभी धर्म-संप्रदाय के स्थल शामिल करते हुए सर्वधर्म समभाव का दृश्य भी सजीव होगा।
बाबरी ढांचा ढहाए जाने के एक माह बाद केंद्र की पीवी नरसिंह राव सरकार ने अयोध्या में कतिपय क्षेत्र अर्जन अधिनियम 1993 को संसद से पारित कराकर विवादित परिसर समेत आसपास की कुल 67.703 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कर लिया था। 42 एकड़ वह भूमि भी थी, जिसे राज्य की कल्याण सरकार ने 1992 में लीज पर रामकथा कुंज बनाने के लिए विहिप से संबधित न्यास को सौंपा था।
0 टिप्पणियाँ