दिल्ली की पटियाला हाईकोर्ट ने 2012 के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड मामले में दायर मृतका की मां की याचिका स्वीकार ली है. मृतका के माता-पिता ने याचिका में कहा है कि चारों दुष्कर्मियों को फांसी देने का मामला दूसरे न्यायाधीश के पास फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलना चाहिए. मामले की सुनवाई कर रहे दोनों न्यायाधीशों के तबादले के बाद निर्भया के माता-पिता ने गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर कर चारों दुष्कर्मियों को फांसी देने की प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग की है.
वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा द्वारा दायर याचिका को जिला जज यशवंत सिंह ने स्वीकार कर लिया. उन्होंने मामले की सुनवाई 25 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी. माता-पिता ने कहा कि जल्दी फांसी की याचिका पर सुनवाई कर रहे दोनों जजों का तबादला हो गया, जिस कारण मामला स्थगित हो गया. उन्होंने कहा कि इस तरह इस मामले में न्याय होने में देरी हो रही है.
वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा ने मामले पर बात करते कहा, 'न्यायाधीश के नहीं होने के चलते न्याय मिलने में देरी हो रही है, जिसके चलते हमें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा.' उन्होंने कहा, 'दोषी व्यक्तियों के सभी कानूनी प्रतिकार क्षीण हो गए हैं, फिर भी न्यायाधीश की अनुपलब्धता के चलते मामला आगे नहीं बढ़ पा रहा है। हम अदालत गए, ताकि जेल प्रशासन को इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाएं.'
31 अक्टूबर को तिहाड़ जेल प्रशासन ने मामले में दोषियों को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि अगर वे दया याचिका के माध्यम से इसे चुनौती नहीं देते हैं, तो उन्हें सात दिनों में मृत्युदंड दिया जाएगा. 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में 23 साल की पीड़िता के साथ छह आरोपियों द्वारा चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था. इसके बाद पीड़िता पर गंभीर रूप से हमला किया गया और उसे और उसके पुरुष साथी को इस सबके बाद चलती गाड़ी से नीचे फेंक दिया गया. बाद में पीड़िता ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था. इस दुष्कर्म ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। छह आरोपियों में से एक नाबालिग था, जिसे रिमांड होम भेजा गया था, वहीं एक अन्य आरोपी ने जेल में खुद को फांसी लगा ली थी.
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