बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर गुरुवार को कहा कि वहां कोई सरकार बना नहीं पा रहा था, ऐसे में राष्ट्रपति शासन के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था. उन्होंने कहा कि “कोई जब सरकार बना ही नहीं रहा, तो करे क्या!” वह पटना रेलवे स्टेशन के पास देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को उनकी जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद सवालों के जवाब दे रहे थे.
उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर कहा, “वहां जितनी भी पार्टियां हैं वे जानें. इसमें हम लोगों का क्या मतलब है.”
महाराष्ट्र में राज्य में 21 तारीख को मतदान हुआ था और 24 को नतीजे आए थे. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी थी, जबकि साथ में चुनाव लड़ने वाली सहयोगी शिवसेना दूसरी बड़ी पार्टी थी. इसके बाद दोनों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद हो गया. दरअसल शिवसेना सरकार में आधे कार्यकाल के लिए अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री की डिमांड कर रही थी. उसने कहा कि चुनाव से पहले ही बीजेपी के साथ 50-50 का फॉर्मूला तय हुआ था. हालांकि बीजेपी ने इससे साफ इनकार करते हुए कहा था कि ऐसी कोई डील नहीं हुई थी. नतीजतन सिवसेना NDA से अलग हो गई और लगभग 20 साल पुराना गठबंधन टूट गया.
इसके बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल ने सरकार बनाने का न्यौता सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी को दिया. बीजेपी ने कहा कि उनके पास संख्या मौजूद नहीं है. इसके बाद शिवसेना भी सरकार बनाने में सफल नहीं हुई. फिलहाल राज्य में ज्यादा उम्मीद इस बात की जताई जा रही है कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार बना सकती है.
नितिन गडकरी ने किया बीजेपी सरकार का इशारा
मोदी सरकार में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी कह रहे हैं कि क्रिकेट और पॉलिटिक्स में तो कुछ भी संभव है. उन्होंने कहा कि क्रिकेट और पॉलिटिक्स में कुछ भी संभव है, कभी आपको लगता है कि आप मैच हार रहे हैं लेकिन नतीजा ठीक इसके उलट आता है.
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