इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डेंगू से युवक की मौत पर पीड़ित परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को डेंगू की रोकथाम के लिए समस्त आवश्यक उपाय करने और इसकी मॉनीटरिंग करने का निर्देश दिया है। कहा कि डेंगू से बचाव के लिए स्थापित स्पेशल हॉस्पिटल और ब्लड सेपरेशन यूनिट को पूरी तरह क्रियाशील रखा जाए ताकि डेंगू के मरीजों को इलाज में किसी प्रकार की परेशानी ना होने पाए। साथ ही राज्य सरकार को स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में डायलिसिस यूनिट के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल एवं न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने अधिवक्ता बीपी मिश्र के पुत्र की डेंगू से मौत को लेकर लंबित जनहित याचिका पर दिया है। अधिवक्ता बीपी मिश्र के पुत्र की 2016 में डेंगू से मौत हो गई थी। पुत्र की मृत्यु के बाद उन्होंने इलाज में लापरवाही की शिकायत करते हुए मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजा था। कोर्ट ने उस पत्र को जनहित याचिका के तौर पर मानते हुए सुनवाई की।
कोर्ट ने कहा की युवक की मौत डॉक्टरों द्वारा बीमारी का सही कारण पता न लगा पाने के चलते हुई। डॉक्टर यह नहीं जान पाए थे कि उसे डेंगू है और उसे ऐसी दवाएं दी गईं, जो डेंगू के मरीज के लिए घातक होती हैं। डॉक्टरों द्वारा एंटीबायटिक देने के कारण बाद में मरीज की स्थिति खराब हो गई और उसे बचाया नहीं जा सका। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा था। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि वेक्टर बांड डिसीज की रोकथाम के लिए तमाम उपाय किए गए हैं।
प्रदेशभर में 37 सेंटेनियल सर्विलांस हॉस्पिटल स्थापित किए गए हैं, जहां डेंगू, चिकनगुनिया जैसी वेक्टर बांड डिसीज की जांच की जाती है। इसके अलावा 32 से अधिक ब्लड सेपरेशन यूनिट लगाई गई हैं, जहां प्लेटलेट्स तैयार किए जाते हैं। कोर्ट ने सभी डीएम को डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों की रोकथाम की कार्ययोजना की स्वयं मॉनीटरिंग करने और जिले के सीएमओ को इन योजनाओं को लागू कराने का निर्देश दिया है।
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