उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने बुधवार को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित चारधाम सहित प्रदेश के 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के संचालन के लिये चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन को अपनी मंजूरी दे दी. बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के अतिरिक्त उत्तराखंड में मौजूद 47 अन्य मंदिर भी बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में आएंगे.
बोर्ड के गठन के प्रावधान वाले उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड प्रबंधन अधिनियम, 2019 को मंजूरी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में दी गयी. सीएम की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट में 36 में से 35 प्रस्ताव मंज़ूर कर लिए गए.
वैष्णोदेवी और तिरूपति बालाजी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर गठित किये जाने वाले चारधाम बोर्ड को अनिवार्य रूप से वर्ष में कम से कम एक बार बैठक करनी होगी.बोर्ड का कार्य मंदिरों की मरम्मत और तीर्थ पुरोहितों के हकों को संरक्षित रखते हुए उसके संचालन के लिये जरूरी कदम उठायेगा.
हिंदू सीएम होगा तो बनेगा बोर्ड का अध्यक्ष
चारधाम विकास बोर्ड में मुख्यमंत्री अध्यक्ष होंगे, संस्कृति विभाग के मंत्री उपाध्यक्ष होंगे. इसमें शर्त यह रखी गई है कि सीएम अगर हिंदू हो तो ही अध्यक्ष होंगे वरना सरकार के सीनियर हिंदू मंत्री बोर्ड के अध्यक्ष होंगे.
तीन सांसद और छह विधायक बोर्ड के सदस्य होंगे. चार अन्य सदस्यों को सरकार चुनेगी. पुजारियों के तीन प्रतिनिधि भी बोर्ड का हिस्सा होंगे. इसके अलावा वरिष्ठ आईएएस अफ़सर भी इसमें शामिल होंगे.
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