बेतिया: अवैध खनन की वजह से बिहार में सोना बना हुआ है बालू, सरकारी मिलीभगत से फल-फूल रहे हैं बालू माफिया

बेतिया: अवैध खनन की वजह से बिहार में सोना बना हुआ है बालू, सरकारी मिलीभगत से फल-फूल रहे हैं बालू माफिया

बेतिया: पश्चिमी चम्पारण बिहार में बालू को सोने के भाव बेचा जा रहा है आज की तारीख़ में बिहार में एक ट्रक/ट्राली बालू औने-पैने रुपए का मिलता है. बालू के दाम में ये उछाल पिछले दो साल से आया है. खास तौर से तब से जब इसके अवैध खनन और कारोबार पर सरकार ने सख्ती करनी शुरू की बालू माफियाओं के लिए इसका अवैध खनन और कारोबार काफी मुनाफे का धंधा है वो ये काला धंधा राजनेताओं, पुलिस और अधिकारियों के अलावा भूविज्ञान विभाग की मिलीभगत से करते हैं.


बिहार के जनपद अन्तर्गत प्रखंड मैनाटांड थाना मानपुर पुरैनिया (भिखना ठोरी) में बालू माफिया का बेहद शातिर जाल बिछा हुआ है. बालू की डकैती के शिकार जिले के यह सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका हैं एक मोटे सरकारी अनुमान के मुताबिक अवैध बालू खनन की वजह से बिहार सरकार को हर साल 600-700 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है.


बिहार का खान और भूविज्ञान विभाग जुलाई 2017 से अब तक अवैध खनन माफिया के साथ मिलीभगत के आरोप में 11 कर्मचारियों को बर्खास्त कर चुका है. जबकि 22 दूसरे कर्मचारियों को इन्हीं आरोपों चलते निलंबित कर दिए गए हैं. इसके अलावा 3 रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन भी बालू माफिया से मिलीभगत के आरोप में रोक दी गई है. बालू माफिया के खिलाफ गंभीरता से कार्रवाई करने वाले अधिकारियों के तबादले तो आम बात हैं.


कीमतें आसमान पर, फिर भी सरकार को घाटा


बिहार का खनन विभाग 100 वर्ग फुट बालू पर महज 400 रुपए का टैक्स लगाता है. इसके अलावा 100 रुपए प्रति वर्ग फुट का लोडिंग चार्ज लगता है, जो ठेकेदार को मिलता है. साथ ही बालू पर प्रति 100 वर्ग फुट पर 20 रुपए का वैट लगता है. लेकिन निजी डीलरों का दावा है कि इतना कम टैक्स होने के बावजूद बिहार में बालू को 6 हजार से लेकर 8 हजार वर्ग फुट की दर से बेचा जा रहा है. यही वजह है कि 200 वर्ग फुट बालू लादने वाली ट्रैक्टर की एक ट्रॉली से लेकर 400 वर्ग फुट बालू लेकर चलने वाले ट्रक 12 से 24 हजार रुपए तक में बेचे जा रहे हैं. अगर एक ट्रक में 400 फुट बालू लदा है, तो भी ठेकेदार को इसकी लागत 2080 रुपए ही पड़ती है. इसमें से 1600 रुपए सरकार को दिया जाने वाला टैक्स भी शामिल होता है. इसके अलावा 400 रुपए उसे लोडिंग चार्ज के तौर पर मिलते हैं और 80 रुपए का वैट देना पड़ता है. लेकिन, बालू का बाजार भाव इस बात पर निर्भर करता है कि उसे ढोकर कितनी दूर तक ले जाया जा रहा है. लोडिंग करने वाले ठेकेदार बालू को कभी भी नदी की तलछट के करीब नहीं बेचते. बल्कि वो इसे दूर बनाए गए गोदाम से ही बेचते हैं. यही नहीं यहा पर जितने ट्रैकर-ट्राली बालू ढोती नजर आ रही यह सब कृषि कार्य के लिए हैं लेकिन इस कारोबार में R.T.O की भी मिली भगत हैं ।


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