कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी उनके पुत्र राहुल गांधी, पुत्री श्रीमती प्रियंका वाड्रा, दामाद राबर्ट वाड्रा और नाती-नातों को सुरक्षा मिले, इस पर कोई दो राय नहीं है क्योंकि श्रीमती गांधी के पति राजीव गांधी और सास श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या राजनीतिक द्वेषता की वजह से हुई थी। इंदिरा गांधी की हत्या तो प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए हुई। ऐसे में गांधी परिवार वाकई सुरक्षा कवर का अधिकारी है और इस मामले में किसी भी सरकार को कोताही बरतने की जरूरत नहीं है, लेकिन सवाल उठता है कि गांधी परिवार आखिर प्रधानमंत्री को मिलने वाली एसपीजी का सुरक्षा कवर ही क्यों चाहता है? एसपीजी का गठन कांग्रेस की सरकार ने सिर्फ प्रधानमंत्री के लिए ही किया था, लेकिन बाद में एसपीजी एक्ट में संशोधन कर गांधी परिवार के सदस्यों को भी इस दायरे में लाया गया। कोई एक पखवाड़े पहले तक गांधी परिवार के सदस्य एसपीजी की सुरक्षा का उपयोग कर रहे थे, लेकिन अब जब वीआईपी लोगों यानि राजनेताओं की सुरक्षा की समीक्षा की गई तो पता चला कि श्रीमती सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने 600 बार एसपीजी एक्ट का उल्लंघन किया। यानि खास स्थानों और विदेश दौरे पर जाने के समय एसपीजी की सुविधा नहीं ली। जब अनेक मौकों पर गांधी परिवार को खतरा नहीं है तो प्रधानमंत्री को मिलने वाली एसपीजी की सुरक्षा हमेशा क्यों चाहिए? यानि अब चुनाव रैली करनी हो या फिर राजनीतिक दौरे करने हो तब एसपीजी का सुरक्षा कवर चाहिए, लेकिन जब अपना गोपनीय कार्य करना हो तो एसपीजी की जरुरत नहीं है। ऐसा नहीं कि सरकार ने गांधी परिवार को सुरक्षा विहिन कर दिया है। अभी अद्र्ध सैनिक बल की जेड प्लस वाली सर्वोच्च सुरक्षा दी गई है। इस सुरक्षा कवर में एसपीजी की सुरक्षा से भी ज्यादा सशस्त्र जवान तैनात हैं। सरकार ने बार बार कहा कि गांधी परिवार की सुरक्षा में कोई कमी नहीं की गई है। प्रधानमंत्री की तरह ही गांधी परिवार के सदस्यों के कार्यक्रमों में एडवांस सुरक्षा दी जाएगी। सीआरपीएफ के जवान भी सुरक्षा करने में प्रशिक्षित होते हैं। ऐसे में एसपीजी सुरक्षा कवर के लिए कांग्रेस का आंदोलन दर्शाता है कि परिवार ही सब कुछ है। कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री तब बनता है, जब देश की जनता वोट देती है। नरेन्द्र मोदी इसलिए प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं कि उनकी पार्टी को 545 में से 303 सीटें मिली हैं। लेकिन इसके बावजूद भी कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता स्वयं को प्रधानमंत्री के बराबर समझ रहे हैं। वैसे भी जो सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री के लिए है, वह किसी अन्य व्यक्ति को कैसे दी जा सकती है। नरेन्द्र मोदी जब प्रधानमंत्री पद से हट जाएंगे तब एसपीजी की सुविधा उन्हें भी नहीं मिलेगी। जहां तक नरेन्द्र मोदी का सवाल है तो प्रधानमंत्री को मिलने वाली सुविधा का वे अकेले प्रयोग करते हैं। यानि जनता के पैसे से मिलने वाली सुविधा का उपयोग मोदी के परिवार का कोई सदस्य नहीं करता है। राजनीतिक द्वेषता की वजह से कोई कितनी भी आलोचना करे लेकिन नरेन्द्र मोदी अपनी माताजी के लिए एसपीजी की सुरक्षा नहीं लेते हैं। जबकि मोदी चाहे तो माताजी के साथ परिवार के अन्य सदस्यों को भी प्रधानमंत्री के परिवार में शामिल कर सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। यह माना कि लोकतंत्र में कुछ कहने का अधिकार है, लेकिन मांग तथ्यों के आधार पर होनी चाहिए। जब सरकार गांधी परिवार की सुरक्षा का भरोसा दिला रही है, तब एसपीजी सुरक्षा के लिए संसद से लेकर सड़क तक हंगामा बेमानी है। खुद श्रीमती सोनिया गांधी को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए।
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