लखनऊ. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अब उत्तर प्रदेश की जसवंतनगर विधानसभा सीट से अपने विधायक और चाचा शिवपाल सिंह यादव की सदस्यता खत्म कराने का पूरा मन बना चुके हैं। इसके लिए सपा ने बाकायदा विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से शिवपाल यादव की सदस्यता खत्म करने का अनुरोध भी किया है। इस संबंध में विधानसभा सचिवालय की ओर से एक सूचना जारी हुई है। आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी ने काफी लंबे समय बाद शिवपाल की सदस्यता खत्म करने की याचिका यूपी विधानसभा अध्यक्ष को दी है। जबकि शिवपालकाफी समय पहले ही सपा से अलग होकर अपनी नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (प्रसपा लोहिया) बना चुके हैं। शिवपाल सपा से इस्तीफा भी दे चुके हैं।
शिवपाल की सदस्यता रद चुनाव में जुटे अखिलेश
समाजवादी पार्टी से अलग हुए शिवपाल सिंह यादव की लोकसभा चुनाव के बाद से ही पार्टी से तल्खी बढ़ती चली गई। जिसके बाद अब सपा अपने विधायक शिवपाल यादव की सदस्यता खत्म कराने में जुट गई है। इसके लिए उसने सपा की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित से सदस्यता खत्म करने का भी अनुरोध किया है। यूपी विधानसभा सचिवालय की तरफ से जारी सूचना में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य (दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता) नियमावली 1987 के नियम 7 के उपनियम (3) क के आधार सपा के नेता रामगोविंद चौधरी ने विधानसभा सदस्य शिवपाल यादव की सदस्यता के विरुद्ध याचिका दी है। विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने यह सूचना सभी सदस्यों के संज्ञान में लाने के लिए जारी की है।
काफी पहले अपनी पार्टी बना चुके हैं शिवपाल
सपा ने लंबे समय से दूरी बनाए हुए शिवपाल यादव काफी समय पहले ही अपनी नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया बना चुके हैं। उन्होंने अपनी पार्टी की ओर से कई जगह लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी उतारे थे। शिवपाल की वजह से सपा के हाथ से फिरोजाबाद की सीट निकल गई थी, जहां पार्टी महासचिव रामगोपाल के बेटे अक्षय यादव भाजपा के मुकाबले हार गए। इसके बाद से ही सपा और शिवपाल के बीच तल्खी बढ़ती गई। वैसे सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार के दूसरे वरिष्ठ सदस्यों ने परिवार की एका की कोशिशें की थीं, लेकिन शिवपाल की सम्मानजनक वापसी से इनकार कर दिया गया। वहीं दूसरी ओर शिवपाल को सरकार की ओर से टाइप छह श्रेणी का विशाल बंगला मिल गया। बावजूद इसके शिवपाल यादव उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने रहे और अभी तक समाजवादी पार्टी से ही विधायक बने हुए हैं।
यहां से शुरू हुई थी लड़ाई
आपको बता दें कि यादव परिवार में तनातनी 2016 के अंत में ही तभी शुरू हो गई थी जब शिवपाल मुलायम सिंह यादव के साथ खड़े होकर अखिलेश का विरोध किया। प्रो. रामगोपाल यादव अखिलेश यादव के साथ खड़े हो गए। वर्ष 2017 की शुरुआत होते-होते यह तनातनी वर्चस्व की लड़ाई में बदल गई। अखिलेश यादव ने सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाकर उससे प्रस्ताव पारित कराकर राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी ले ली दूसरी तरफ मुलायम सिंह ने भी खुद को अध्यक्ष बताते हुए विधानसभा चुना के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। बाद में चुनाव आयोग के अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष मान लेने के कारण मुलायम की सूची के प्रत्याशियों को साइकिल चुनाव चिह्न न मिल पाने के कारण कई मैदान से हट गए।
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