समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की खराब कानून-व्यवस्था पर योगी आदित्यनाथ सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश का लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ गया है।प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को यूपी सरकार पर निशाना साधा। अखिलेश ने कहा कि यूपी पहले उत्तम प्रदेश था, लेकिन अब 'हत्या प्रदेश' बनकर रह गया है। प्रदेश में महिलाएं सुरक्षित नहीं है। लखनऊ में एक फोटोग्राफर की प्रदर्शनी का उदघाटन करने के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि राजधानी लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ की नाक के नीचे में सनसनीखेज हिट एंड रन मर्डर केस हो रहा है। दो युवकों को गाड़ी से कुचल दिया गया।लखनऊ से सटे सुल्तानपुर में तो हालात बेहद बिगड़े हैं। आज सहारनपुर में एक युवा पत्रकार और उसके भाई की हत्या कर दी गई। इस घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर सीएम योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश जो उत्तम प्रदेश कहलाया जाना चाहिए था, आज हत्या प्रदेश कहलाया जा रहा है। प्रदेश की पुलिस छोटे बदमाशों के पैर में गोली मारकर दहशत फैलाने में लगी है जबकि शातिर बदमाशों को संरक्षण दिया जा रहा है।
अखिलेश यादव ने कहा, छह साल में 3.7 करोड़ ने छोड़ी खेती
भाजपा पर जनता को दुख पहुंचाने का आरोप लगाते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि पिछले छह साल में देश में 3.7 करोड़ से अधिक लोग कृषि कार्य छोड़ चुके हैं और करीब 60 हजार किसानों ने आत्महत्या की है। उन्होंने श्रम ब्यूरो सर्वे के आंकड़े देते हुए कहा कि गत छह साल में 3.7 करोड़ लोग खेती के काम से अलग हो गए हैं। एक करोड़ से ज्यादा नौकरियां चली गईं। युवा व किसान का भविष्य अंधकार में फंसा है। वाहन उद्योग में गिरावट है। इस क्षेत्र में 3.5 लाख से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी हो गई है।
उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार आखिर कौन सी नीति पर काम कर रही है, जिससे प्रदेश में बेरोजगारी बढ़ रही है। सपा प्रमुख ने कहा कि आखिर लोगों की नौकरियां क्यों जा रही हैं? ऑटोमोबाइल सेक्टर का बुरा हाल क्यों हैं? पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया था। अब सरकार बताए कि इस समिट से कितने बेरोजगारों को रोजगार मिला। अखिलेश यादव के कहा है कि श्रम ब्यूरो के सर्वे के मुताबिक पिछले 6 वर्षों में 3.7 करोड़ लोगों ने खेतीबारी करना छोड़ दिया। वहीं, बीते पांच साल में करीब 60 हजार किसानों ने आत्महत्या की है।
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