उत्तर प्रदेश विधानसभा में सूबे में कानून व्यवस्था को लेकर जमकर हुआ हंगामा 

उत्तर प्रदेश विधानसभा में सूबे में कानून व्यवस्था को लेकर जमकर हुआ हंगामा 


उत्तर प्रदेश विधानसभा में सूबे में कानून व्यवस्था को लेकर सोमवार को जमकर हंगामा हुआ। सपा और कांग्रेस सदस्यों ने प्रदेश में कानून व्यवस्था पर सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किये। सपा सदस्यों ने सपा नेताओं की हत्याओं पर चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर सदन से वॉकआउट किया। वहीं, कांग्रेस के सदस्यों ने सोनभद्र नरसंहार के मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर सदन में जमकर नारेबाजी की।


कार्यकर्ताओं की हत्या पर सपा का वॉकआउट


विधानसभा में सोमवार को कार्यकर्ताओं की हत्या के मुद्दे पर सपा सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया। सपा सदस्य संजय गर्ग सदन की कार्यवाही रोककर इस मुद्दे पर चर्चा कराये जाने की मांग कर रहे थे लेकिन, संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना की आपत्ति के बाद विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। इस पर नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने सदन के बहिष्कार की घोषणा कर दी और सदस्य बाहर चले गए। खन्ना का कहना था कि जिस दिन से सरकार आयी उसी दिन से 2012 से 2017 तक का जंगलराज समाप्त कर कानून का शासन हो गया।


सरकार फासिस्टवादी रवैया अपना रही


सपा सदस्य संजय गर्ग ने कहा कि विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए सरकार फासिस्टवादी रवैया अपना रही है। उन्होंने कहा कि दो माह में 50 सपा कार्यकर्ताओं की हत्या की गई है। सिर्फ प्रयागराज में सात लोग मारे गये। गर्ग का आरोप था कि सिर्फ यादव बिरादरी के कार्यकर्ताओं को मारा जा रहा है। उन्होंने तारीखवार कुछ उदाहरण भी दिये। कहा, प्रदेश के कई जिलों में सपा कार्यकर्ताओं के साथ नंगानाच हुआ और यह लोकतंत्र के लिए चुनौती है। मुख्यमंत्री योगी को भी उन्होंने कठघरे में खड़ा किया।


अब तक 83 अपराधी मारे गए


संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना का कहना था कि सरकार बनने के बाद से 30 जून, 2019 तक 15892 अपराधियों ने आत्मसमर्पण किया। यह सरकार के भय से हुआ। जिस अपराधी ने सिर उठाया उसे उसी की भाषा में जवाब दिया गया। अब तक 83 अपराधी मारे गए। खन्ना ने कहा कि समाजवादी सरकार में 600 से ज्यादा पुलिसकर्मियों पर हमले हुए। सीओ जियाउल हक की हत्या से लेकर कई घटनाएं गिनाई। खन्ना ने कहा कि सपा शासन में तो 'खाली प्लाट हमारा है- समाजवाद का नारा है' का माहौल बना था। राम गोविंद चौधरी ने कहा कि मुद्दे पर बात नहीं कर रहे हैं। आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की शह पर सपा कार्यकर्ताओं की हत्या कराई जा रही है। इसलिए हम सदन का बहिष्कार करते हैं। खन्ना ने कहा कि ये लोग सच सुनना नहीं चाहते हैं और कलई खुलती तो भाग जाते हैं।


सोनभद्र नरसंहार पर कांग्रेस का वेल में हंगामा


सोनभद्र नरसंहार पर चर्चा कराये जाने की मांग को लेकर कांग्रेस सदस्यों ने विधानसभा के वेल में आकर हंगामा किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कांग्रेस विधायक दल के नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सोनभद्र में जमीन की रजिस्ट्री भाजपा शासन में हुई और गांव वालों ने अपना हक मांगा तो उनका उत्पीड़न किया गया। उनका कहना था कि इस मामले में भाजपा विधायक हरिराम चेरो ने भी आदिवासियों के पक्ष में पत्र लिखा लेकिन, उनकी भी नहीं सुनी गई।


कार्यवाही रोककर चर्चा की मांग


कांग्रेस दल नेता अजय कुमार लल्लू सदन की कार्यवाही रोककर इस मामले पर चर्चा कराये जाने की मांग कर रहे थे। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना का कहना था कि इस पर विषय पर चर्चा हो चुकी है तो दोबारा चर्चा का कोई औचित्य नहीं है। लल्लू ने हस्तक्षेप किया। बोले कि उनकी नेता कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा और उन्हें 48 घंटे तक बंधक बनाये रखा गया। यह बात क्यों अनसुनी की जा रही है। श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य समेत सत्तापक्ष के कई सदस्यों ने प्रतिवाद किया। कहा, यह जबर्दस्ती है। इस पर अजय कुमार लल्लू, अदिति सिंह, नरेश सैनी, सोहेल अंसारी वेल में आ गए और नारेबाजी होने लगी। नारेबाजी के बीच लल्लू सरकार पर आरोप लगा रहे थे।


मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग 


विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि वेल में कही बात कार्यवाही का भाग नहीं होगी। कांग्रेस सदस्य मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहे थे। सुरेश खन्ना ने कांग्रेस महासचिव पर तंज कसते हुए कहा कि वह तो फोटो खिंचवाने गई थीं और उनका उद्देश्य पूरा हो गया। लल्लू ने बाद में पत्रकारों को बताया कि 2017 में संस्था ने रजिस्ट्री प्रधान के नाम से की तभी गांव वालों ने आपत्ति की। 15 दिन पहले गांव वाले अपील किये थे और डीएम ने अपील खारिज कर दी। भाजपा विधायक हरिराम चेरो ने आदिवासियों के पक्ष में पत्र लिखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शासन में एक बार 70 और एक बार 30 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया। यहां तक कि महिलाओं पर गुंडा एक्ट और जिला बदर की कार्रवाई की गई।


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