कुशीनगर के कसया थाने में थानेदार की स्कार्पियो से तस्करी की शराब की खेप बरामद होने और तस्कर को थाने से छोड़े जाने के मामले की जांच में पुलिस और शराब तस्करों के गठजोड़ की परतें खुलने लगी हैं। विभागीय स्तर पर गोपनीय ढंग से चल रही छानबीन में हरियाणा से तस्करी कर शराब की खेप बिहार पहुंचाने में पुलिस वालों की बड़ी भूमिका सामने आई है। इसके लिए तस्करों ने गोरखपुर-बस्ती मंडल में हाईवे के थानों में गहरी पैठ बना रखी है।
खुद पकड़वाते और फिर आधी शराब खरीदते लेते थे तस्कर
बिहार में शराब बंदी लागू होने के बाद हरियाणा और पंजाब से बड़े पैमाने पर शराब की तस्करी हो रही है। हरियाणा से शराब की खेप बिहार पहुंचाने का नेटवर्क दोनों राज्यों में बैठे प्रभावशाली लोग चलाते हैं। तस्करी कर बिहार ले जाई जा रही शराब से होने वाली बेहिसाब कमाई जेब में रखने के लिए स्थानीय स्तर पर तस्करों का गिरोह धीरे-धीरे सक्रिय होने लगा। इसमें बिहार के मनीष सिंह उर्फ मनीष राय का गिरोह सबसे प्रभावशाली बनकर उभरा। मनीष सिंह ने हाईवे पर पड़ने वाले थानों में पहले पैठ बनाई। इसके बाद उसके गिरोह के लोग खुद मुखबिरी कर हरियाणा से आने वाली शराब की खेप पुलिस से पकड़वाते थे। बरामद शराब में से आधी वे न्यूनतम दर पर खरीद लेते थे। बदले में पुलिस, शराब के साथ अपनी सुरक्षा में उन्हें बिहार सीमा तक पहुंचाती थी और बाकी बची शराब की बरामदगी दिखाकर अधिकारियों से शाबाशी भी हासिल कर लेती थी।
कैरियरों को पकड़कर वाहवाही बटोरती रही पुलिस
हरियाणा और बिहार से शराब की तस्करी का नेटवर्क चलाने वाले लोग आज तक पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े। शराब की खेप के साथ सिर्फ कैरियर ही पकड़े जाते रहे हैं। गोरखपुर पुलिस पकड़े गए कैरियरों से हरियाणा और बिहार में बैठे उनके आकाओं के नाम, पते व मोबाइल नंबर कई बार हासिल कर चुकी है लेकिन उनकी गिरफ्तारी का कभी सार्थक प्रयास नहीं किया। इस दौरान मनीष सिंह उर्फ मनीष राय के गिरोह से गठजोड़ कर पुलिस वाले मोटी कमाई भी करते रहे और गुडवर्क भी दिखाते रहे।
इस संबंध में आइजी जय नारायण सिंह का कहना है कि शराब तस्करों के नेटवर्क से पुलिस वालों के गठजोड़ की गहराई से जांच की जा रही है। कोई भी पुलिसकर्मी इसमें लिप्त पाया गया तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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